अकेले क्यूँ हैँ हम
अकेले क्यूँ हैँ हम
माँगा किसी ने हाथ तो हाथ दे दिये
माँगा किसी ने साथ तो साथ दे दिये
क्या हर्ज जो मैने तुमसे आस कर लिये
माँगा जो तुमसे आग तो तुम राख दे दिये !
रिश्तो को संभालने का क्या मेरा फर्ज है
रिश्तो को निभाने की सिर्फ मेरी गर्ज है
तुम क्या समझ के मेरा इंतेहान ले लिये
मांगा नहीं था तुमसे कुछ, क्यूँ खाक दे दिये !
इस नीलगगन मे हम, सब कुछ लुटा दिये
इस सुन्दर चमन मे, तुमने वो गुल खिला दिये
विश्वास नहीं होता कि तुम मेरे दोस्त हो
मैने तो दोस्तो पे दिलों जान लुटा दिये !
आसान नहीं होता हर किसी को पुकारना
मकान नहीं होता हर किसी का आशियाना
अपने हो तुम कभी से ये जानते हैं लोग
क्या सोच कर तुम सारे अहसान भुला दिये !!