अकेले हैं चले आओ
अकेले हैं चले आओ
ज़िंदगी के रास्तों पर अकेले हैं चले आओ
साथ निभाने ज़िंदगी का तुम चले आओ
डर लगता है जुदा हो जाने का मुझे हर पल
रूह को महफूज़ करने को तुम चले आओ
इस शहर मे हर अज़नबी बन रहा गमगुसार
हर निगाह ढूँढती है बस अपने लिए शिकार
अब हर आवाज़-ए-पा पर मेरा दिल धड़कता है
ऐ मेरे मुहर्रिक मेरे सुकूं के लिए चले आओ
कि मुमकिन नही मुसलसल इंतज़ार अब तेरा
मुकम्मल करने को मेरा जहाँ तुम चले आओ।