अजनबी से मेरा तात्पर्य है कि
अजनबी से मेरा तात्पर्य है कि
अजनबी कौन नहीं
इस दुनिया में
मैं खुद से अजनबी
यह दुनिया भी मेरे लिए
एक अजनबियों की बस्ती
अजनबी सब हैं
इसका मतलब यह नहीं कि
मुझे उनसे प्यार नहीं
मुझे सबसे प्यार है
चाहे वह अपने हो या पराये
अजनबी से मेरा तात्पर्य है कि
कौन कहां कभी किसी को
पूरी तौर पर जान पाया है
यह बात खुद पर भी लागू होती है
मैं तो पल पल एक गिरगिट से रंग
बदलती हूं
अभी हंस रही हूं
अगले पल रो सकती हूं
मुझे खुद ही यह मालूम नहीं कि
मैं इस समय क्या कर रही हूं या
अगले पल क्या करने वाली हूं तो
मैं कहां खुद को जानती हूं
खुद को जब जान नहीं पाई आज तक तो
दूसरों को जानती हूं पूरी तौर पर
यह दावा कैसे कर सकती हूं
अजनबी कोई नहीं यहां
सब अपने हैं
सबको साथ लेकर चलो
सब मीत अपने हैं
सब मिलकर गीत गाओ
प्रेम के कि
सबको यह पहाड़ सा जीवन
काटना है
सावधानी बस वहां बरतो जहां
किसी दुर्घटना का खतरा हो वरना
सब ठीक है
अजनबी सा सबसे
व्यवहार करोगे तो
दिलों के बीच दूरियां बढ़
जायेंगी
रिश्तों में मधुरता नहीं रहेगी
अपनापन नहीं होगा
एक अधूरापन
एक परायापन होगा
यह सब देखते हुए
जानते हुए
समझते हुए
यह अति आवश्यक है कि
चाहे किसी से पहली बार मिलो
लेकिन ऐसे मिलो कि
उसे न जाने तुम कितनी सदियों से
जानते हो
वह मुलाकात जीवन का
एक यादगार पल बन जाये
रह रहकर किसी को याद आये
एक बोझ सा बनकर सिर पर
कहर न बरपाये
अजनबी को कहो कि
तुम कहीं से अजनबी नहीं
मेरे सबसे प्यारे और अजीज
दोस्त हो
जीवन को सही प्रकार से
जीने का यही एक मंत्र है कि
सारी कायनात को खुद में
समेट लो
किसी को एक अजनबी
कहीं से न समझो
उसे अपना मानो
उसे अपने गले से लगा लो
सीने से चिपका लो
उसके दिल से एक परायेपन का
डर मिटा दो
हर किसी को इस
जहां में लगना चाहिए कि
वह यहां कोई मेहमान नहीं
वह यहां कोई अजनबी नहीं
यह दुनिया उसका घर है
और हर कोई उसका
मित्र, शुभचिंतक और
एक परिवार
जैसे मैं खुद की
वैसे सब मेरे
कोई गैर नहीं
पराया नहीं
अजनबी नहीं
सब अपने
सब मित्र
सब सखा
सब मेरी छवि लिए
मुझ से
कुछ हद तक शायद हों लेकिन
पूरी तौर पर तो मैं खुद से
न कोई मुझसे
एक अजनबी नहीं।