अजीब
अजीब
अजीब सी जिंदगी, अजीब सा माहौल है,
कौन किसको पूछे ये अपनापन किधर है।
मन कलंक,ज़ुबाँ दूषित, चाहत नदारत है।
अपना पराया छोड़ मन की सुध ले रे।
बिन बात के न लड़ आपस मे रिश्ता ले।
अजीब सी जिंदगी, अजीब सा माहौल है,
कौन किसको पूछे ये अपनापन किधर है।
मन कलंक,ज़ुबाँ दूषित, चाहत नदारत है।
अपना पराया छोड़ मन की सुध ले रे।
बिन बात के न लड़ आपस मे रिश्ता ले।