"अजीब दुनिया"
"अजीब दुनिया"
बड़े अजीब लोग है
इस जमाने के,
तोड़कर घोसलें, पिंजरे बनाते है
पक्षियों के लिए....!
गँवा चुकी है एक लाल को,
न जाने किस मिट्टी की बनी है... वो माँ,
जो भेज दिया दूसरे भी
जवान को सरहद के लिए....!!
संसार खुद -ब -खुद हो
जाएगा खूबसूरत,
कभी थोड़ी अदब तो
रखों आँखों के लिए....!!!
बैठ गई जुबां पर ताला
लगाकर वो लाडो डोली में
यह सोचकर... कि मेरी माँ भी तो आई थी
अपना घर छोड कर किसी के लिए....!!!!
हम क्या दास्तां सुनाएं अब
उस इश्क़ में फसे राही की,
आज भी भटक रहा है
वो मंजिल को पाने के लिए....!!!!!
जिन्दगी की इतनी औकात
कहां जो हरा सके हमें,
अपने खड़े थे ना पीछे हमारे,
हमें बरबाद करने के लिए....!!!!!!