अजब सी उलझन
अजब सी उलझन
यूँ सपनों में आ के
सताना छोड़ दो
इस आवारा दिल का
क़रार लौटा दो
तुम्हारी मंज़िल की राह पर
मेरा मकान नहीं आता तो
यूँ मुझे तुम अब
बहलाना छोड़ दो
यूँ मीठी बातों से
उलझाना छोड़ दो
इस दर्दे दिल को
हँसना सिखाना छोड़ दो
तुम्हारी ख़ुशियों के हारा में
मेरा फ़ूल नहीं अगर
यूँ मुझे तुम अब
बहकाना छोड़ दो
यूँ हँसी अदाओं से
घायल करना छोड़ दो
इस तड़पते दिल पर
एक एहसान ही कर दो
तुम्हारी प्यार की कहानी में
मेरा क़िरदार लिख़ा नहीं जब
यूँ मुझे तुम अब
इश्क़ बतियाना छोड़ दो
यूँ सवालों को हँसी में
टालना छोड़ दो
इस दिल की चाह को
हकीक़त का वास्ता दो
तुम्हारी ज़ुबा पर मेरा ज़वाब
आ ही नहीं सकता कभी तो
यूँ मुझे तुम अब
जाम-ए-मोहब्बत पिलाना छोड़ दो।