अजब हाल!
अजब हाल!
आजकल के चिकित्सकों का है अजब हाल!
रोगियों को कर रखा है बेहाल, भाई।
सरकारी नौकरी की अनोखी है बात,
क्लिनिक भी चलाते हैं साथ में भाई।
नौकरी तो करते हैं यूं ही पार्टटाइम,
क्लिनिक को देते हैं फुलटाइम भाई।
मरीजों की लगती सुबह से लम्बी लाइन,
डाॅक्टर साहब के नहीं होते दीदार भाई।
क्लिनिक निपटाते तो अस्पताल आते,
साथी डाॅक्टरों से मिलते, तनिक बतियाते,
मरीज को देखकर सलाह वो देते,
मेरा क्लिनिक है यहां से पास,
यहां पर नहीं है एक्स रे मशीन तक,
वहां सारे साधन हैं उपलब्ध, भाई।
शाम को अमुक समय से मैं वहां बैठता हूॅऺ,
क्लिनिक में देखना ही पसंद करता मैं, भाई।
कहते सभी से इलाज तुम वहीं कराना हमसे,
जो लोग होते कुछ गरीब निर्धन से,
सरसरी निगाह से देखकर उनको,
लंबी लिस्ट दवाइयों की वो थमाते, भाई।
अगर कोई एक्सीडेंट का केस आता,
उनकी बला से चाहें वो जीता या मरता,
पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराओ पहले,
बिना एफआईआर मरीज को हाथ नहीं लगाते वो, भाई।
ये तो साफ साफ पुलिस केस है बनता,
हमें क्यों इस झमेले में फंसाता है,
हो जाए अगर इसे कुछ तो,
नौकरी पर जाएगी आंच मेरी, भाई।
कायदे कानून सबको सिखाते वो,
मानवता को ताक पर रखते,
चिकित्सकों की करनी देखती मानवता,
घड़ों आंसू बहाती, थक जाती वो, भाई।
पर आजकल पैसा ही ईमान है,
दौलत कमाना ही है लक्ष्य प्रधान,
अंतरात्मा की नहीं सुननी आवाज,
अपने मतलब की मतलबी दुनिया है, भाई!