ऐसा क्या है
ऐसा क्या है


हममें ऐसा क्या है
जो तुममें नहीं है।
हम तो कहते हैं कुछ नहीं ।
जाहिर है तुम्हारा मुझसे प्रेम
खुद से है।
तुम्हारी मुझसे नफरत
खुद से है।
तुम्हारी मुझसे दुश्मनी
खुद से है।
तुम्हारी मेरे लिए ईश्वर से प्रार्थना
खुद से है।
तुम्हारा मुझसे लगाव
खुद से है
तुम्हारी मुझसे आसक्ति
खुद से है।
कौन कहता है कि अनजान हैं हम एक दूसरे
जितना हम खुद को जानते हैं
उतना ही तुम्हें भी।