ऐन फ्रैंक की डायरी
ऐन फ्रैंक की डायरी
ऐन फ्रैंक की डायरी है झलक
एक यहूदी लड़की की संघर्ष की,
डायरी भी किसी को
एक पहचान दे सकती है,
ऐन फ्रैंक की डायरी ही प्रमाण है;
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान
नाजी कब्जे वाले नीदरलैंड में ऐन और उसके
परिवार के अनुभवों का साक्षात्कार कराती है ।
यकीन नहीं हुआ जब पहली बार
मैंने पढ़ा कि एक 13-15 साल की लड़की का कलम इतना सशक्त हो सकता है,
अपने डर, अकेलेपन, और युवावस्था की चुनौतियों को ऐन फ्रैंक ने सुन्दरता से प्रस्तुत किया,
ऐन का 1945 में बर्गन-बेलसेन कॉन्सन्ट्रेशन कैंप में निधन हुआ, संयोग से डायरी उनके पिता ओटो फ्रैंक को मिला उनके पिता नरसंहार से बच गए थे
जिन्होंने उस डायरी को प्रकाशित किया,
जो मानवता, आशा, और साहस का प्रतीक बन गया।