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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

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ऐ स्वर कोकिला, लता मंगेशकर

ऐ स्वर कोकिला, लता मंगेशकर

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ऐ स्वर कोकिला, लता मंगेशकर।

दुनिया से तुम्हारे विदा होने पर।।

हर आँख नम है, हर चेहरा मायूस।

बेसुर हो गए, तेरे बिना स्वर।।

ऐ स्वर कोकिला------------------।।


स्वरों की तू सरस्वती थी।

अधूरी थी सरगम तेरे बिना।।

नई पहचान संगीत को दी तुमने।

नहीं ज्योति थी गीतों में तेरे बिना।।

बेदम हो गए गीत संगीत सब।

यह जमीं छोड़ तेरे जाने पर।।

ऐ स्वर कोकिला----------------।।


इस धरा पर वह सूरज थी तू।

जिसने रोशन किया, देश के नाम को।।

तेरे गीतों में था जादू।

जिसने जगमग जिंदा किया शाम को।।

नहीं रही अब वह रोशनी, आवाज।

वीणा के तारों में, तेरे जाने पर ।।

ऐ स्वर कोकिला----------------।।


रहेगा अमर तेरा नाम जमीं पर।

हर दिल में जिंदा तू, हमेशा रहेगी।।

तू प्रेरणा और सूरज रहेगी सबकी।

गीत-संगीत में जिंदा तू हमेशा रहेगी।।

हो गई पूरी दुनिया, बेरौनक अब।

यह संसार तेरे छोड़ जाने पर ।।

ऐ स्वर कोकिला,----------------।।


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