ऐ मौत
ऐ मौत
ऐ मौत मुझे अपने आगोश में ले लो,
अब इस जहाँ में दिल नहीं लगता,
हर और अंधेरों के घने बादल हैं छाये हुए,
कोई रोशनी की किरण नज़र आती नहीं है,
हर और झूठ और फरेब है बिक रहा
सच्चाई की राह कोई नज़र आती नहीं है
कोई नहीं है अपना बस बेगाने
चेहरे नज़र आते हैं
धोखे ही धोखे बस नज़र आ रहे हैं,
भरोसे के काबिल कोई रहा नहीं है,
दिल टूट सा गया है अब इस भरी दुनिया में,
भीड़ में भी खुद को तन्हा से लगते हैं
ऐ मौत तू मुझे अपने आगोश में ले ले...।।