ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी रोज़ सुबह तू मुझे उठाती है
सुबह एक नए दिन की शुरुवात कराती है
एक नए दिन और एक नई जिंदगी शुरु करने की चाह मुझमे जगाती है
शाम होते होते मेरी हिम्मत टूट जाती है
थक हार कर मैं फिर बैठ जाता हूँ
मुरझाती हुइ शाम मुझे अपने हार का एहसास करती है
रात की चांदनी मुझे सपनो मे ले जाती है
सुबह होते होते सूरज की धूप मुझे फिर जीने की चाह जगाती है
फिर कुछ नया करने की हिम्मत दे जाती है
फिर लड़ने का और फिर कोशिश करने का जज़्बा दे जाती है
यह जिंदगी हर एक नई सुबह एक नई सीख दे कर जाती है.