अघोर
अघोर


गरल जो तेरा था वह भी मैंने पी लिया
सरल तेरी ज़िन्दगी चले इस लिए त्याग सब कर दिया
विफल ना हो तेरी कोशिश साथ तेरा दे दिया
रूद्र हो कर रौद्र का त्याग मैंने कर दिया
पर तूने कहा इस आत्म ज्ञान को छोड़ दिया
दुनिया की इन मोह माया मे हाथ मेरा त्याग दिया
तू मुझे नकार दिया
ना देव ना भैरव तू मेरे ही अंश
निराश ना हो तू ही विद्वान्स है
आज तेरा ना हुआ तो क्या
स्वयं समय तेरे साथ है
विश्वास रख काल से पहले कोई है
वह महाकाल तेरे पक्ष है
माया तुझे बहार लुभाती तोह
फटकार उसे
ईस्ट को कहा ढूंढ़ते
अपने अंतर आत्मा को कर प्रश्न उसे
घोर अघोर सब मैं हूँ
तेरे कर्म भी मैं हूँ
जो मेरा सब तेरा है
अपना जिसे कहता है
वह भी मेरा है
उसपे अपना हक़ जमाना
सब मोह माया है