अदुभुत छटा
अदुभुत छटा
औरत है,
अदुभुत छटा की मालिक,
हर रंग में जम जाती,
सबकी छुट्टी कर देती,
अच्छे अच्छों की,
ऐसी तैसी कर डालती,
हर रूप में छा जाती,
अथार्त कोई कमी नहीं छोड़ती,
तभी इसे बहुआयामी कहते।
बेटी होती,
पैदा होते,
जब भाई आ जाता,
बहन बन जाती,
उसकी राजदार बन जाती,
जब मां बाप हों,
उससे नाराज़,
तो उनको पटाने में बनती मददगार,
परिवार की सलाहकार होती,
घर की लक्ष्मी कहलाती।
फिर किसी की,
पत्नी बनती,
उसका जीवन संबारती,
उसके बच्चों की मां बनती,
आपने बच्चों की,
फिलोस्फर गाइड और गुरू कहलाती,
उनका हर मुसीबत में साथ देती,
कभी डाक्टर सलाहकार बैंकर और प्रशासनिक अधिकारी बनकर,
संचालन करती।
लेकिन ताज्जुब ये,
इतने काम,
इतने किरदार,
एक जान,
एक दिमाग,
भगवान की कैसी माया,
एक इंसान में ही संभव कर दिखाया।