अधूरी ज़िन्दगी
अधूरी ज़िन्दगी
कुछ छूट सा गया है
ऐ ज़िन्दगी तेरे आने की
खुशी में या फिर
कुछ रुक सा गया
तेरे जाने के गम से
ना तू आज मेरी है
ना तू कल मेर होगी
बेशक तू अपना हुनूर
आजमा ले अधूरे ख्वाब से
और अधूरी ज़िन्दगी से अब
अपना सा लगने लगा है।
कुछ छूट सा गया है
ऐ ज़िन्दगी तेरे आने की
खुशी में या फिर
कुछ रुक सा गया
तेरे जाने के गम से
ना तू आज मेरी है
ना तू कल मेर होगी
बेशक तू अपना हुनूर
आजमा ले अधूरे ख्वाब से
और अधूरी ज़िन्दगी से अब
अपना सा लगने लगा है।