अधूरी जिंदगी
अधूरी जिंदगी
गुजरती जिंदगी अरमान अधूरे
बदलती दुनिया इंसान अधूरे
जिंदगी की दौड़ मुश्किलें बहुत
बदलता वक्त सच सपने अधूरे।।
इंसान की चाहता दुनिया दामन
में समेटे
राहों में भटकता मंज़िलों का पता
पूछता
एक दूजे की लाश की सीढ़ी
इंसानियत के रिश्तों में ईमान अधूरे।।
गुरुर इंसान का जुनून
जुनून जिंदगी का सुरूर
दुनिया तिज़ारत का बाज़ार
दुनिया के बाज़ार में बिकते सपने
आधे अधूरे।।
तोहमत ही तौफा खूनी पंजों की
दौलत
मोल बेमोल सस्ती महँगी
बिक जाती है हर दौलत
बिन मांगे मिल जाती कभी
मौहलत कभी मांगे नहीं मिलती
मौहलत ।
जकात कभी दाम आधे अधूरे।।
प्यार व्यापार मोहब्बत धोखा
शातिर की चाल इंसानियत का सोसा
ज़ख्म दर्द को मरहम का भी मौका
नाम बदनाम के पहचान अधूरे।।
हर जुगत जुगाड़ इल्म उखाड़ने का
मरी खाल से तक़दीर संवारने का
कोशिशें बहुत मगर कामयाब अधूरे।।
झील में कमल का खिलना
फूल का निखारना भौरों
का चलना मचलना
सुबह सूरज का नया जोश
बयां जिंदगी की सच्चाई
ग़म के सायों में दिन का उजाला
अधूरा।।
जिंदगी जंग बन गयी है साँसों
में सिमटती
पत्थरों का दिल धड़कता ही नहीं
पत्थरों के दिल में ख़ुदा का दीदार
नहीं
पत्थरों में चाहत का भगवान अधूरा।।
कस्मे वादे प्यार वफ़ा बातें ही बात
हकीक़त हद से दूर निकलते
मुस्कुराता है इंसान खोखली हंसी
कोफ़्त के अंगार में जलती जिंदगी
तलाश जिंदगी के अधूरा अधूरे।।
चार दिन की जिंदगी गुजर रही
दो दिन आरजू के दो दिन इम्तिहान
जिंदगी इम्तिहान से आजिज इंसान
हासिल कुछ भी नहीं पूरे की चाह
लम्हा लम्हा कशमकश काश।
रह गया इंसान मलते मलते हाथ।
खोने औ पाने का हिसाब बराबर
पूरे की चाह में कट गयी जिंदगी
आधा गंवा दिया पूरे की चाह
में फिर भी रह गए अधूरे अधूरे।।