अच्छे दिन किधर गए
अच्छे दिन किधर गए
ख्वाब टूट के बिखर गए,
अरमान दिल के बिखर गए ।
अपने थे जो बिछड़ गए,
वादों से अपने मुकर गए ।
इकरार के दिन गुज़र गए,
इज़हार के दिन गुज़र गए।
बाग़ दिल के उजड़ गए,
खामोशियों से सिहर गए।
खुशियों के पल बिसर गए,
मस्तियों के पल बिसर गए।
रिश्ते सारे बिखर गए,
खुद में ही सब सिमट गए ।
जीवन में सब उलझ गए,
झगड़ों में ही सब उलझ गए।
लालच में सभी जकड़ गए,
बात बात में अकड़ गए।
सच्चे लोग न जाने किधर गए,
अच्छे लोग न जाने किधर गए।
सच्चे साथी न जाने किधर गए,
सच्चे अभिलाषी न जाने किधर गए।
अच्छे अफसाने न जाने किधर गए,
अच्छे ज़माने न जाने किधर गुज़र गए।
अच्छे दिन न जाने किधर गए,
अच्छे पल न जाने कहां बिखर गए।