अबला की आत्मकथा
अबला की आत्मकथा
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नारी कब तक तेरी यही कहानी,
आँचल में रख दूध जरूर,
पर आँखोँ में अब रख ले लाली !
अबला बन कर सुनेंगे कब तक,
तेरी आत्मकहानी,
कभी निर्भया, कभी लाडो,
अब प्रियंका की आयी बारी !
शर्म है मुझको पुरुष होने पर,
जो नारी की साख न जानी,
वक़्त है अब दिखलाये क्यों है नारी,
रणचंडी शक्तिशाली !