अभिनंदन
अभिनंदन
दुंदुभी है दहल गयी
दिति अदिति में ठन गयी
रौद्र रूप यह रुके नहीं
झंझावत यह झुके नहीं
कुपित काल का क्रंदन है
वीर जनों का वंदन है
योद्धाओं अभिनंदन है
आह्वान है भारत माँ का
संहार है दुष्टता का
समर काल विश्राम नहीं
बिन रौंदे आराम नहीं
विश्व शक्ति का मंथन है
वीर जनों का वंदन है
योद्धाओं अभिनंदन है
अश्वमेघ हुंकार है
सिंहों की ललकार है
महाशक्ति का क्रोध है
शूरों का प्रतिशोध है
भ्रष्ट भूमि का भंजन है
वीर जनों का वंदन है
योद्धाओं अभिनंदन है
मस्तक मर्दन की तैयारी
अब जग देखे शक्ति हमारी
एक समय तक शांत रहें
अब दुश्मन आक्रांत रहे
भवसागर का मंथन है
वीर जनों का वंदन है
योद्धाओं अभिनंदन है।