अभिलाषा
अभिलाषा
वक्त ढला सोते-सोते
अब तो जागो ऐ अभिलाषा
मष्तक पर यह लगी कालिमा
अब तो धो लो ऐ अभिलाषा
दाग लगे है वर्षो से, तुने
उसको बस लगने दिया
कभी जान कभी अनजाने में,
दागों पर दाग ठहरने दिया
छुड़ा लो अब इन दागों को,
भाग्य न रह जाय प्यासा।
वक्त ढला सोते सोते अब
तो जागो ऐ अभिलाषा
आखिर किसने तेरे जन्म पर,
तेरे अधिकार बताय हैं,
आखिर किसने तेरे चहुँ ओर,
लक्ष्मण रेखा खिचवाय है,
ना यह लक्ष्मण रेखा नहीं,
हैं अंधे कानून की परिभाषा।
वक्त ढला सोते सोते
अब तो जागो ऐ अभिलाषा
बस संबंधो की दीवार नहीं
तू नदी है कई धाराओं की,
देवी का स्वरुप है तू,
तेरी शक्ति अष्टभुजाओ की,
अस्तित्व बदलना जाने तू,
चाहे इसरो हो या हो नासा।
वक्त ढला सोते-सोते
अब तो जागो ऐ अभिलाषा
मस्तक पर यह लगी कालिमा
अब तो धो लो ऐ अभिलाषा।