अब दिल नहीं भरता है
अब दिल नहीं भरता है
बहर
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
तिरी ये इश्क़ की बारिश से, अब ये दिल ना भरता है,
कि महफ़िल-ए-मुहब्बत में, ये मन ग़मगीन रहता है।
तसव्वुर से मिटा दी है यूँ हर इक याद को तेरी,
कि जितना भूलना चाहूँ तू उतना याद आता है।
मुझे ये है ख़बर जिंदा है अब तक तू सनम मेरे,
कि जब तू साँस लेता है ये मेरा दिल धड़कता है।
नहीं मिटते निशां तेरे क़दम के जब मैं चलती हूँ,
कि अब भी साथ में मेरे तिरा ही अक्स दिखता है।
न समझेगा कभी भी वो तेरे जज़्बात को 'ज़ोया',
तुझे वो छोड़ किसी ग़ैर की बाहों में सोता है।
February 26 / Poem9