आज़ाद गज़ल
आज़ाद गज़ल
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तारीफ़ के लिए तरसते फ़नकार देखा है
गुमनामी में ही गुजरते कलाकार देखा है।
ये और बात है वो मक़बूल हो नहीं पाए
लेखनी मगर उनकी बेहद दमदार देखा है।
कभी किसी मंच पर उन्हें सुना नहीं गया
घर में भी खफ़ा उनसे है परिवार देखा।
चाहता हूँ मैं आवाज़ उनके लिए उठाऊँ
जिनके लिए समाज में तिरस्कार देखा है।
जाने कब ज़माना समझेगा ये हक़ीक़त
गलतफहमियाँ पाले हमने हज़ार देखा है ।