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Sunil Maheshwari

Drama

5.0  

Sunil Maheshwari

Drama

आत्मनिर्भर नारी

आत्मनिर्भर नारी

1 min
603


घर पनघट पर,

जब सब औरतें,

मिल कर थी,

बतियाती,

तंग हुई हालत को,

वो फिर 

अपनी जुबान,

बताती।


फिर पति के 

बटुए के 

सब किस्से 

मिल सुनाती।


नज़र जो ढूंढा,

करती थी,

बटुए में,

सब उस पर 

नजर लगाती।


अब ये किस्से 

हुए पुराने 

आधुनिकता के 

इस युग में यारों,

आत्मनिर्भर है,

आज की नारी 


न डर है कोई भारी,

खुद मेहनत से 

आगे बढ़ती 

स्वाभिमान से 

वो जीती हैं,

कितने भी 

दुख के संकट हो 

अभय रहना वो

सीखी हैं।


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