आस्था
आस्था
ख़ुदा में आस्था,
हर तमस की चाभी है।
हर वेदना से रुख़सत,
खुदा की ही मेहरबानी है।
खुदा की इबादत से,
इनायत मिल रही है।
उसकी हर मेहरबानी से,
हुनर में चमक आ रही है।
हर मंज़र एक दास्ताँ बनती जा रही है,
ख़ुदा की इनायत खुदा का होना बता रही है।
डगमगाते क़दम भी संभाल रही है,
डगर की ओर ही बस बढ़ा रही है।