Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Renu kumari

Tragedy

4.5  

Renu kumari

Tragedy

आशातीत

आशातीत

1 min
171



हाँ उससे मिल लौट रही थी मैं

अनकहे सवालो से घिरी थी मैं

क्या था क्यों था किसलिए था

जवाब तलाश कर रही थी उन तन्हाइयों में मैं

साथ थी उसके तो वो पास नही था 

जब दूर हुई तो उसका पैग़ाम आया

आखिर कर क्या रही थी मैं

वो खुश था अपने दोस्तों से बात कर

और मैं बस उस कोने में बैठ उसे देख रही थी

बस उसके एक नज़र के लिए तरसती हुई

उसने मेरे साथ रह सारे काम किये सिवाए मुझसे बात करने के

और में कोशिश करती रही कि शायद वो एक लब्ज़ मेरे लिए भी कह दे

सवाल किया उससे तो कहता है अपने बारे में सवाल न किया कर

कश्मकश में अपनी मैं इंतेज़ार करती रही

खयाल तो वो भी आया कि छोड दूं सब और चली जाऊं उससे दूर 

फिर न जाने क्यों उसके लिए ही रुक गई

लौट ते वक़्त बस उसे एक नज़र भर देखा

शायद इस उम्मीद में की वो एक लम्हा मुझे देख ले गले लगा ले

पर जिसने वो लम्हों में साथ होकर भी तन्हा रखा 

वो और क्या ही करता

मुझे तो बस हमदर्द चाहिए था पर उसके साथ हो मेने शायद खुद को खो दिया

समान उठाया और अपनी मंज़िल के ओर चल पड़ी

एक सवाल जेहन में लिए क्यों उसने मुझे तन्हा कर दिया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy