आशा की किरण
आशा की किरण
माना कि आज मुश्किलों का दौर है ..
माना कि आज तम बहुत घनघोर है !
विपत्ति मानो कर रही बहुत शोर हैं ..
फूल की जगह शूल बिखरे हैं यहाँ !
चिंता के भंवर में किश्ती गोते खाती वहाँ,
ऐसा लगता है कि न खत्म होगा ये कारवाँ !
न जाने गम के ये अंधेरे कभी भी छँट पाएँगे,
क्या ये खुशी के उजाले हमको अभी तड़पाएँगे ?
फ़िर भी अंतर्मन में आशा का दीपक जल रहा है।
फिर भी हौंसला मन का नहीं कुछ भी ढल रहा है।
है यकीं कि कल सूरज की किरनें आएंगी...
और अंधेरी रात की कालिमा छँट जाएगी।
फैल जाएगा चहुँ ओर सूर्य की रश्मियाँ ...
और जीवन में व्याप्त चिंता की लकीरें भी कहीं,
नज़र न आएंगी।
आशा की किरण से जीवन मे खुशहाली छाएगी !