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आपका ख़्याल

आपका ख़्याल

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अब जान लीजिये मेरे दिल का हाल

जब खोया-खोया सोया रहता हूँ मैं,

तो जागते रहते हैं आपके ख़्याल।


मैंने उल्फत में सीखा है करना सवाल

तब जाना आपके नखरे हैं बेमिसाल।


अब जान लीजिये मेरे दिल का हाल

जब देखा आपकी आँखों में मुस्कुराता हूँ मैं,

तो लगा कहीं गालों से छूट ना जाए गुलाल।


मैंने तो हाकिम से पूछा था मर्ज़ अपना

उसने कहा तन्हा तुम हो चुके हो हलाल।


अब जान लीजिये मेरे दिल का हाल

जब से तड़प रहा हूँ तेरी एक झलक को

तू ना दिखे तो रहता है हर पल आपका ख़्याल।।


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