आओं खुद से करे न्याय
आओं खुद से करे न्याय
फूल न बनना,
फूलन देवी बनना
मार हिंसको को,
अपनी रक्षा करना।
धरा भी होगी पवित्र,
ऐसा नरसंहार करना
अपनी आबरू के लिए,
प्रतिपल तैयार रहना।
न कोई कृष्ण आयेगा,
न कोई राम बन पायेगा।
अपने ही हाथों को,
तलवार तुम बनाना।
आसमां से गिरी पतंग,
और डोर न बनना
अपने हक के लिए,
हमेशा लड़ना।
अंधी है ये कानून की देवी,
खड़ी न्याय का लिए तराजू
होती नहीं कभी तौल बराबर,
कलियुग का हैं ये आधार।
करो या मरो की,
रणनीति अपनानी होगी
इस स्वतंत्र भारत में,
महिला स्वतंत्रता की
नींव रखनी ही होगी।
आओं खुद से करे न्याय,
नहीं सहेगें अन्याय।
धर्म की वेदी पर
स्त्रीत्व को मत रखो।
धर्म के ठेकेदारों,
हर स्त्री को माँ के रूप में देखो।