"आओ कुछ याद करें "
"आओ कुछ याद करें "
आओ कुछ याद करें
वो गाँव, वो घर, वो आंगन
और बीते हुए
कल की यादें
आज कुछ
ताज़ा करें
आओ कुछ याद करें !
वो धुंदला सा
सुबह
वह तप तपाती
दो प्रहर
गुलाबी सी शाम
महकती रात
चमकते तारों के साथ
खिलखिलाती चाँद को
याद करें
आओ कुछ याद करें !
वो चुलबुल सी
तीतीलियां
कभी मेरी आँगन से
तेरे आँगन में
जाएं
वह नटखट सा भमरा
उभरते कालिओं को
कुछ किस्से सुनाए
उन हसीन
पलों के साथ
अपनी बचपन
भी शामिल करें
आओ कुछ याद करें !
वो
आम की बगिया
व नारियल के बगान
उस मे पंछीओं का
चहकना
और कोयल
की तान
और नृत्यागना
मोरनी के साथ
प्यारी सी बूलबुल
को याद करें
आओ कुछ याद करें !
वहां पे
बहती झरनों के फुहार
और उसी के किनारे किनारे
हर सुबह
कुंवारिओं की
पायल के झंकार
और उन की
खिलखिलाहट
सुन कर
तभी कोई मन चला
उन्हें दूर से घूरे
आओ कुछ याद करें !
वहाँ पे
वैशाखी के धूम
होली में रंगों की वर्षा
दिवाली में
जगमगाते
आँगन
ईद की नमाज
और
बड़े दिन के
प्रार्थना की भीड़ में
खुद को शामिल करें
आओ कुछ याद करें !