आँख ये मेरी
आँख ये मेरी
तेरी यादों की बारिश में बरसती आँख ये मेरी।
तुझे पाने की ख़्वाहिश में तड़पती आँख ये मेरी।
तेरी आँखों की सुंदरता के आगे कुछ नहीं भाता।
इन्हें देखा था जिस दिन से बहकती आँख ये मेरी।
कभी तो आ भी जा तू सामने कहती मेरी आँखें।
तेरे दीदार को कब से तरसती आँख ये मेरी।
मुहब्बत की हदों से भी गुज़र कर पार जाना है।
कईं सदियों से यह ख़्वाहिश भी करती आँख ये मेरी।
रकीबों से मुहब्बत तो नहीं करती मेरी आँखें।
नहीं पर ज़हर भी उनपे उगलती आँख ये मेरी।
सफ़र यह जिंदगी का किस तरह कट पाएगा बोलो।
न चलती सांस है तुम बिन न खुलती आँख ये मेरी।