आँख मिलते आज भी.....
आँख मिलते आज भी.....
वो जो आज बरसों बाद दिखे थे, फिर खो गए लगता है,
आँख मिलते आज भी, वो थोड़ा सा ठहर गए थे लगता है।
मजबूर हमारे हालात थे, या हालात के हाथों मजबूर थे हम,
इस से पहले की मिलते , फिर से बिछड़ गए थे लगता है।
आँख मिलते आज भी, वो थोड़ा सा ठहर गए थे लगता है…..
वो आये भी तो बस इतना कि उसे आना न हम कह सके,
फिर जा रहे है इतना, जिसे गुज़रा ज़माना कह सके हम।
वक़्त थोड़ा तो ठहरता की, दो घड़ी फिर दिखते आँखों में,
इससे पहले की होते आँखों में, पलकों से ढलक गए थे लगता है।
आँख मिलते आज भी, वो थोड़ा सा ठहर गए थे लगता है…..
न पूछो धड़कन का आलम दोस्तों, कलेजा मुंह तक धड़क गया,
न पूछो इन आँखों को, दो पल में एक पूरा ज़माना दिख गया।
दोस्त थे जो कभी, आज बड़े अजनबी से दिख रहे थे राहों में,
राह तो रुकी ही थी मगर, पर हम पहले ही गुज़र गए थे लगता है।
आँख मिलते आज भी, वो थोड़ा सा ठहर गए थे लगता है…..