आखिर क्यों
आखिर क्यों
जब मैं कहता हूं कि भगवान से प्रेम करता हूँ मैं
तो तुम प्रशंसा करते हो
भक्त कहते हो मुझे
जब मैं कहता हूं कि अपने माता पिता से प्रेम करता हूँ मैं
तो तारीफ करते नहीं अघाते तुम
सपूत कहते हो मुझे
जब मैं गाय को रोटी, चिड़ियों को दाना, भिखारियों को वस्त्र बांटता हूं
तो तुम मुझे दानी सरल हृदय कहते हो
मेरे प्रेम की प्रशंसा करते नहीं थकते
पर जब मैं कहता हूं कि मुझे उस लड़की से प्रेम है
तो क्यों नाक, मुंह सिकोड़ने लगते हो
क्यों जात पात, ऊँच नीच की दुहाई देने लगते हो
क्यों.. आखिर क्यों?