आज स्वतंत्रता दिवस है
आज स्वतंत्रता दिवस है
आज आजादी का ७५वां स्वतंत्रता दिवस है,
सभी वीर मातृभूमि को भारतवासियों का नमन है।
आजादी के परवाने आये और चले गये,
आजादी के चौहत्तर वर्ष गुजर गये,
गुलामी न झेली गोली फांसी खाये,
ऐसे कुछ वीर धरा के लौट के न आये।
किसकी बनी समाधी,
कब्र में कौन सोया है,
मुट्ठी में बंद तकदीर पूछती,
मौत की नींद सोया है,
एक गुलामी का वीर विरोधी,
क्रांत से विक्रातं तक,
आजादी को जागा,
कोई फांसी चढ़ा,
कोई गोली का शिकार बना है,
मगर फिर भी छाती से लगाये मौत,
सदियों तक इतिहास बनकर सोया है,
समाधी, कब्र बनकर जिंदा हैं,
ऐसा हर वीर भारतवासी,
हमारे दिलों में बसा है,
और सदा ही बसा रहेगा,
क्योंकि हर स्वतंत्रता दिवस पर,
समाधियां नई और कब्रें ताजी हैं,
जब जब सरहदों की जंगें जारी हैं,
मगर वीरों की हस्ती कभी खण्डहर पुराना नहीं,
आजादी का इतिहास कभी दोस्तों भुलाना नहीं।