आज के दौर में
आज के दौर में
आज के दौर में बस एक मोहब्बत करना,
ठीक ऐसा है कि हर वक़्त इबादत करना।
ये गया साल तो गुज़रा है अज़ाबों की तरह,
ऐ नए साल ज़रा हमपे इनायत करना।
चाहते हो कि मोहब्बत रहे ज़िन्दा तो फिर,
अपने मेहबूब से कोई न शिकायत करना।
सैकड़ों लोगों में होता है कोई एक अपना,
कितना मुश्किल है किसी दिल पे हुकूमत करना।
हौसला है तो करो- इश्क़, मोहब्बत वरना,
अपने माँ-बाप की चुपचाप इताअत करना।