आईना
आईना
जाने कयों,
आज फिर,
यह मन उदास है।
कयों उम्र के इस मोड़ पर,
दिल को फिर बस थोड़े,
से पयार की आस है।
जाने तुम में कया खास है,
लगातार होती वह बातें,
जैसे न बुझती कोई प्यास है।
मेरी जिन्दगी के
गुणा-भाग का आईना,
बस तुम्हारे पास है।
जाने कयों,
आज फिर,
यह मन उदास है।
कयों उम्र के इस मोड़ पर,
दिल को फिर बस थोड़े,
से पयार की आस है।
जाने तुम में कया खास है,
लगातार होती वह बातें,
जैसे न बुझती कोई प्यास है।
मेरी जिन्दगी के
गुणा-भाग का आईना,
बस तुम्हारे पास है।