आह
आह
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दिल में तुझे बसा लूँ ,
यूँ दूर - दूर से निहार ,
कभी कनखियों से देखूँ ,
कभी सामने से लूँ पुकार |
तेरा सर उठा के तकना
कर देता यूँ बवाल ,
सब लोग मुझसे पूछे ?
क्या ये है तेरा महिवाल ?
मैं बावरी तेरी दीवानी ,
रोज तरसे मेरी जवानी ,
तेरी दुआ - सलाम पर भी ,
मैने लिख दी एक कहानी |
धड़कने हद से ज्यादा ,
तेरा साथ माँग लायें ,
तुझसे मिलने को रोज ,
ये नए मुकाम पायें |
दिल में दबे जज़्बात ,
होठों का रँग भरते ,
सारी उम्र ये तरसते ,
और आह धीरे भरते ||