आगे बढ़ तू
आगे बढ़ तू
दुनिया को जरुरत हे तेरी, आगे बढ़ तू,
ना थम तू, ना रुक तू, बस आगे बढ़ तू,
एसे मुकाम पे खड़ा है तू, जहाँ से वापस नहीं लौट सकता तू,
रुक नहीं सकता तू, थम नहीं सकता तू, बस आगे बढ़ तू,
रुकूँ या वापस लोटूँ , उस कश्मकश मे पड़ सकता है तू,
लेकिन वक्त तो उतना ही लगेगा वापस जाने में,
जितना लगा यहाँ तक आने में,
इस लिये ना रुक तू, ना थम तू, बस आगे बढ़ तू,
तरुण जेसा न बन तू, किसी और की राह पे ना चल तू,
दिवाकर जैसा बन तू, अपने बनाये राह पे चल तू,
किसी और कि राह पे चलेगा तू, इतिहास तुझको बदल देगा,
अपनी बनाई राह पे चलेगा तू, इतिहास को बदलेगा तू,
अगर थमेगा तू, थकेगा तू, तो हारेगा भी तू,
अगर चलेगा तू, जीतेगा तू, तो इतिहास को बदलेगा तू।।
