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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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आदमी नज़र नहीं आते

आदमी नज़र नहीं आते

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मुस्कुराते चेहरे 

के पीछे

का दर्द किसी को 

दिखाई नहीं देता

आदमी चीखता रहता है

भीड़ में अकेला 

लोगों को सुनाई नहीं देता

जिन्दा रहते आदमी के 

पास आदमी नहीं जाते 

मरने के पहले आदमी को 

आदमी नज़र नहीं आते।


 


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