आधुनिक भारत
आधुनिक भारत
खंडित हो रही मानवता, खंडित हो रहा सारा देश है,
बदल गई चाल सबकी कैसा ये आधुनिक भारत है।
लूट रहा इंसान, इंसान को बना कर अपनेपन का वेश है।
खंडित को अखंड अब बनाएं हम लोग,
अखंड भारत को ना जाने कैसा लग गया ये रोग
जात - धर्म के नाम पर बंटने लगे हैं लोग।
सब के दल बन गए हैं अपने - अपने कोई हिन्दु तो
मुस्लिम कहलाने लगे हैं लोग।
हिन्दु - मुस्लिम भाई - भाई कहा करते थे जो ना जाने कहां
चले गए आज वो लोग, ईद - दीवाली मनाते थे सभी मिल जुल कर।
नई ज्वाला जलाओ तुम, धर्म - मज़हब का भेद मिटाओ तुम।
भांति - भांति की बोली यहां, भांति-भांति की संस्कृति,
भांति-भांति का है पहनावा, पर मिट्टी देश की एक यहां।
कहीं पे पर्वत शोभा बढ़ाते हैं, कभी झरने गुनगुनाते हैं, कहीं पे मन्दिर
तो कहीं मस्जिद है, अलग - अलग धर्म सबके।
फिर भी मिल जुल कर सब रहते थे,
ना तोड़ो गांधी के अंखड भारत के सपने को,
ना देश को यूं बर्बाद करो, मानवता का पाठ पढ़ाएं,
भारत की गौरव - गाथा गाएं ।
सत्ता लोलुपों का हम नामों- निशान मिटाएं।
करो दुआ कि मेरा देश बने फिर से सोने की चिड़िया,
ना कोई हो हिन्दू, ना मुसलमान हो, बस भाई चारा हो,
अखंड भारत हमारा हो ।