आ खेले मिलकर होली
आ खेले मिलकर होली
रंग में रंग कर मैं तुझको,
रंग लूंगा प्रेम से खुद को,
तू भाग रहे क्यों इधर उधर,
रंग लगा लेने दो मुझको।
जब प्रेम की बात है साखी,
बस एक काम हैं बाकी,
आ गया समय फागुन का,
रंग लगा लेने को लागी।
तू भी रंग रंग से मुझको,
उड़ा दे असमान में अबीर,
आया होली का त्यौहार,
रखूँ मैं मन में क्यों फिर धीर?
ये साल बाद हैं यह आया,
खुशियों का मौका लाया,
चलो संग रंग हम डाले,
सब पे प्रेम का रंग है छाया।
अब न तू भाग न छीप साखी,
आ खेले मिलकर होली,
हैं नील मन की अभिलाषा,
उड़े रंगों की रंगोली।