I am deleting my poems. I am deleting my poems.
घी में भुनती, रेत सी महीन सूजी की मर्म चुम्बन करती। घी में भुनती, रेत सी महीन सूजी की मर्म चुम्बन करती।
चाँद की रौशनी मे डूबी वो मेेरी एक आस थी ! चाँद की रौशनी मे डूबी वो मेेरी एक आस थी !