Pankaj Priyam
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2020 - NOMINEE

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*पंकज प्रियम* मुसाफ़िर हूँ मैं लफ़्ज़ों का ख़ुद से बंधा नियम हूँ मैं। लफ्ज़ समंदर लहराता शब्दों से सधा स्वयं हूँ मैं। साहित्य सृजन साधना प्रेम-पथिक "प्रियम" हूँ मैं। ******************** विगत 20 वर्षों से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं।प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा के समय से ही कविता, गज़ल, नाटक, कहानी,... Read more

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लोग अक्सर खाने को जीते हैं। हम तो अक्सर जीने को खाते हैं

मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का मुझे खामोश रहने दो, उमड़ता प्रेम का दरिया, उसे आगोश बहने दो। मचल जो दिल गया मेरा, बड़ा तूफ़ान आएगा- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो।। ©पंकज प्रियम

शीर्षक-बरसात मुक्तक धरा की देख बैचेनी,.....पवन सौगात ले लाया तपी थी धूप में धरती,.. गगन बरसात ले आया। घटा घनघोर है छाई,....लगे पागल हुआ बादल- सजाकर बूँद बारिश की, चमन बारात ले आया।। ©पंकज प्रियम


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