"गाँव के मोगली से शुरू सफ़र शक्तिमान सा घूमता और अंधेरे से लड़ता हुआ लेफ्टिनेंट शेरगिल तक गया फिर थोड़ा ठहरकर ब्रूसली और टॉम क्रूज भी बना। प्रेमचंद मन में से प्रेम जुदा हुआ और केवल चंद बचा फिर जाकर मिर्ज़ा ग़ालिब और गुलज़ार के चमन के गुलों की शक़्ल इख़्तियार कर गया। सफ़र अभी बाकी है ..... और वो जो... Read more
Share with friendsजो पूंछा उन्होंने क्यों जा रहे हो मरने वतन के लिए हमने मुस्कुराकर कहा, तिरंगा मिल रहा है क़फ़न के लिए।