Punjabi lyricist, Poet
Share with friendsजिन्दगी का सफर भी कितना अजीब है ना हमसफ़र तो हजारों हैं पर आखिरी स्टाॅप तक साथ पहुँचने वाला कोई नहीं है।। ✍️✍️Omdeep verma
एक वक्त था हम जैसे बच्चे माँ के सीने से लिपटे रहते थे और आजकल के सिनेमा में माशूकाओं से चिपके रहते हैं 😂😂😂😂
खामोश तेरे लबों के लिए मुस्कराहटों का तोहफ़ा लाया हूँ। सारी जिंदगी उतरे ना जो प्रेम रंग लगाने आया हूँ।। ✍️✍️Omdeep verma
बस तेरे ही नशे में चूर हूँ भोले दुनियादारी से दूर हूँ भोले तेरा हाथ है सिर पर मेरे इसीलिए थोड़ा मगरूर हूँ भोले।। ✍️✍️Omdeep verma
शायद वो कोई और ही था जो मुझे छोड़कर चला गया मेरा यार तो एक पल की भी दूरी सह नहीं सकता था । ✍️✍️Omdeep verma