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चित्रा ने बड़ी फुर्ती से टूटे काँच के टुकड़े समेटे, बिखरी चाय साफ की और जाते-जाते कह गई ''साढ़े नौ बजे ... चित्रा ने बड़ी फुर्ती से टूटे काँच के टुकड़े समेटे, बिखरी चाय साफ की और जाते-जाते ...