लेखक होना बहुत सौभाग्य का अवसर है.लिखना कोई प्रमाद नहीं है बल्कि भगवान की तरफ से मिला भागवत प्रसाद है.इस पर कहानीकार और कवि तो साक्षात् ईश्वर के पुत्र होते हैं.लोकप्रिय गीतकार नीरज जी ने मुझे अपनी रेडियो बातचीत में यह बताया था कि लेखक का होना इतना ही बड़ी जिम्मेदारी से भरा हो जाता है ,जैसी कि... Read more
लेखक होना बहुत सौभाग्य का अवसर है.लिखना कोई प्रमाद नहीं है बल्कि भगवान की तरफ से मिला भागवत प्रसाद है.इस पर कहानीकार और कवि तो साक्षात् ईश्वर के पुत्र होते हैं.लोकप्रिय गीतकार नीरज जी ने मुझे अपनी रेडियो बातचीत में यह बताया था कि लेखक का होना इतना ही बड़ी जिम्मेदारी से भरा हो जाता है ,जैसी कि किसी घर में बड़े बेटे पर होती है.वो next to father होता है घर में.दुनियां के सभी दर्द लेखक की अँगुलियों की अंगूठियाँ बनना चाहते हैः और एक कवि और कहानीकार इन अगोचर दर्द की आत्मा का अपनी लेखनी से हर बार तर्पण करके उन्हें मोक्षित करता है.इस तरह लेखक एक संन्यासी भी होता है.जो दूसरों के दर्द हर लेता है और दर्द को अपनी डायरी रूपी कुटिया में पनाह देता है.प्यार और दर्द की नदियाँ इस धरती पर सदियों से बह रही है.इन नदियों में आज तक बाढ़ इसलिए नहीं आयी है क्योंकि धरा पर लेखक सदियों से इनका मजबूत किनारा बन कर खड़ा है.इसी वजह से दर्द और ख़ुशी अपनी सीमा का अतिक्रमण नहीं कर पाते ..
शब्द जब
जन्म लेता है
तो
वह कविता होता है
यही शब्द जब
थोड़ा बड़ा हो जाता है
तो कहानी बन जाता है
और यही शब्द जब
थोडा और बड़ा हो जाता है
तो उपन्यास हो जाता है
और फिर यही शब्द
कुछ और बड़ा हो जाता है
तो आत्मकथा बन जाता है
और जब यही शब्द
ध्यान बन जाता है
ओंकार बन जाता है
तो मन्त्र बन जाता है
वेद बन जाता है
कुरान और गीता बन जाता है
इसलिए हे लेखक
सावधान
तुम ईश्वर के पुत्र हो
आकाश द्वारा लिखा
धरती को
पहला प्रेम पत्र हो ...
आप सब का मंगल हो ..
--रविदत्त मोहता
मोबाइल 9414729739
raviduttmohta@gmail.com
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