I'm नूपुर शांडिल्य and I love to read StoryMirror contents.
इक उम्र गुज़र जाती है घर बनाने में इक पल नहीं लगता बम गिराने में
इतना सब पढ़ा-लिखा पर दुख से उबरा नहीं क्योंकि जो समझा था वह अक्षरशः गुना नहीं