Teaching and learning Literature since 2013 at literary fiction. Writing & reading poems are my passions.
Share with friendsमेरे रूह के जर्रे जर्रे में बसा है *परिवार* मेरा, गर चले ये संग- संग तो हर रस्ता है आसान मेरा। काली लंबी रात हो या घनघोर घटा बरसात हो, इनके होने का एहसास हीं है खिलखिलाता भोर मेरा। इनकी हसीं से हस्ते हैं ये मेरे होंठ सदा गर हो मायूसी तो दिल रोये रजा - रजा मेरा। हो गर पग - पग साथ तो ये जीवन है आबाद मेरा। ✍️ अंशु प्रिया
ख़ुद के लिए शून्य हूं, अपनों के लिए विस्तार। मेरी ज़िन्दगी बस इसलिए है क्योंकि मुझे अपनों के लिए जीना है।। _✍️अंशु
My profession is something that I wear as an ornament, sing as a song, save as a capital and live as a happy life!!