बिन कहे सब कुछ कह जाना , बिन किये कुछ दिल को तड़पाना ...
तुम्हारी ये जो दो आँखें हैं न मुझे इनसे बहुत शिकायत है ....
शोभना 'ऋतु'
नदी की थमी रवानी हो गया है
वितृष्णा की कहानी हो गया है
चुप खड़े देखते हो जुल्मोसितम
तुम्हारा खून क्या पानी हो गया है
शोभना 'ऋतु'