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निस दिन नैना राह निहारें, दिन अश्रु से बहते जाऐं मन की हिलोरें तुम्हें पुकारें घड़ी-घड़ी ये उठती जाऐं निस दिन नैना राह निहारें, दिन अश्रु से बहते जाऐं मन की हिलोरें तुम्हें पुकारें घ...
जाने कितनी बार गौरी को मनाया था मुझे हठी बालक की तरह परे कर बैठी जाने कितनी बार गौरी को मनाया था मुझे हठी बालक की तरह परे कर बैठी
विभावरी में खिली कोंपल देख आसमान को, मुस्कुरा रही थी; विभावरी में खिली कोंपल देख आसमान को, मुस्कुरा रही थी;
ज्ञान और ताप से अर्जित अहंकार, फिर बल, सत्ता और प्रभुत्व की आस, छोड़ गया रे तेरा विवेक तुझे, रावण, यह... ज्ञान और ताप से अर्जित अहंकार, फिर बल, सत्ता और प्रभुत्व की आस, छोड़ गया रे तेरा ...
एक अनुभूति, एक कल्पना, हर क्षण वही झंकार, एक अनुभूति, एक कल्पना, हर क्षण वही झंकार,
जो राणाजी तुम्हें सर्व सम्मति से ब्याह, डोली में बैठा कर घर ले आऐ, उनकी न तुम संगिनी बनी, न पटरानी... जो राणाजी तुम्हें सर्व सम्मति से ब्याह, डोली में बैठा कर घर ले आऐ, उनकी न तुम ...